घर घर वृक्ष लगायेंगे हम, बदलेंगे जमाना। 

धरती को स्वर्ग बनायेंगे हम, बदलेंगे जमाना ।।

 

  • हजारों वर्षों से भारतीय सनातन देव संस्कृति समूची विश्व मानवता विश्व पर्यावरण सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है: देवेंद्र कुमार सक्सेना 

आज पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस है साथ ही इस लेख के लेखक तबला वादक संस्कृति समाज एवं पर्यावरण सेवी देवेंद्र कुमार सक्सेना का जन्म दिवस हैं आप संगीत विभाग, राजकीय कला कन्या महाविद्यालय में तबला वादक के पद पर कार्यरत हैं…

इस अवसर पर देवेन्द्र कुमार सक्सेना का पर्यावरण जागृति के लिए सरल और सहज भाषा में भारतीय संस्कृति पर एकाग्र प्रेरणादायक लेख……

इन दिनों भीषण गर्मी में एयर कंडीशनर की लगातार बढ़ती ठंडक से धरती का पर्यावरण बिगड़ रहा है। ऐसी जलवायु के लिए के लिए खतरनाक है। कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन से ज्यादा खतरनाक हैं।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चेतावनी जारी की है कि अगले 2023 से 2027 में इन पांच वर्षों में भीषण गर्मी पडेगी।और इस बीच सतह का तापमान एक वर्ष के लिए 1.5 से अधिक हो जायेगा। इसका असर खाद्य पदार्थों और जल प्रबंधन पर भी पड़ेगा।

विश्व समुदाय ही नहीं प्राणी मात्र वायु प्रदूषण जल प्रदूषण और युद्ध जैसी विभिषिकाओ से जूझ रहा है।

दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर में पिछले माह में जल संसाधन की कमी से नहाने पर पाबंदी की खबर समूचे विश्व में प्रकाशित हुई थी

वहां नलों में पानी की सप्लाई पर रोक लगाई…

इन परिस्थितियों के बहुत कारण हैं

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू, भारत के प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी भारत के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से लेकर

सयुंक्त राष्ट्र महा सचिव एंतोनियों गुटुरेश ने विश्व समुदाय से युद्ध रोकने रासायनिक हथियार खत्म करने और पर्यावरण संरक्षण की अपील की है। मैं लोकसभा अध्यक्ष श्रीमान ओम बिरला जी के संसदीय क्षेत्र से हूँ

लोक सभा अध्यक्ष श्रीमान ओम बिरला वर्षों से अपने संसदीय क्षेत्र कोटा बूँदी में वृक्षारोपण कराते आ रहे हैं।

मैं अंतर्राष्ट्रीय गायत्री परिवार की रचनात्मक गतिविधियों से 1975 से परिचित हूँ युग ऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ आचार्य श्रीराम शर्मा, वंदनीया माता भगवती देवी, वैज्ञानिक संत डॉ 0 प्रणव पण्डया,शैल बाला एवं युवा मनीषी डॉ 0 चिन्मय पण्डया प्रति कुलपति देव संस्कृति विश्व विद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय गायत्री परिवार गायत्री यों के माध्यम औषधीय पौधारोपण कराते आ रहे हैं गायत्री परिवार एवं दीया द्वारा मेरे शहर कोटा में श्री राम वाटिका में औषधीय और अन्य उपयोगी पौधे के संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। भारत और विदेश में गायत्री शक्तिपीठ प्रज्ञा पीठ तथा अन्य हजारों संगठन संस्थान वृक्षारोपण पर्यावरण संरक्षण में लगे हुए हैं।

अन्तरराष्ट्रीय गायत्री परिवार की सद प्रेरणाओ से करोड़ों लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। पिछले दिनों डॉ चिन्मय पण्डया प्रति कुलपति देव संस्कृति विश्व विद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के नेतृत्व में देश विदेश में बुध्द पूर्णिमा के दिन पर्यावरण संरक्षण यज्ञ आयोजन किए गए मैं भी इस यज्ञानुष्ठान में शामिल हुआ था।

मेरी सभी विश्व वासियों से अपील है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए घर घर में

दिव्य औषधीय पौधे लगाएं और आक्सीजन भरपूर पाएं।

स्कंद पुराण में एक सुंदर प्रेरणादायक श्लोक है

अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम्

न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान्।

कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।

अर्थात

अश्वत्थः = पीपल 100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है

पिचुमन्दः = नीम 80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है

न्यग्रोधः = वटवृक्ष 80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है।

चिञ्चिणी = इमली 80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है

कपित्थः = कविट 80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है

बिल्वः = बेल85% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है

आमलकः = आंवला 74% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है

आम्रः = आम 70% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है

उप्ति = पौधा लगाना

 

अर्थात्- जो कोई इन वृक्षों के पौधो का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नर्क के दर्शन नही करने पड़ेंगे।

इस संदेशों की उपेक्षा करने के कारण हमें आज इन परिस्थितियों के स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं।

अभी समय अभी बदल लो तेवर अपनी चाल के…..

अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं।

पाश्चात्य राष्ट्रों का अंधानुकरण कर हम ने अपने भारत देश का बहुत बड़ा नुकसान कर लिया है।

पीपल, नीम वड जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ रही है।

ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते है साथ ही धरती के तापनाम को भी कम करते है।

हमने इन वृक्षों के पूजने की परंपरा को अन्धविश्वास मानकर फटाफट संस्कृति के चक्कर में इन वृक्षो से दूरी बनाकर यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के वृक्ष सड़क के दोनों ओर लगाने की शुरूआत की। यूकेलिप्टस जल्दी से बढ़ते है लेकिन ये वृक्ष दलदली जमीन को सुखाने के लिए लगाए जाते हैं। इन वृक्षों से धरती का जलस्तर घट जाता है। विगत 40 वर्षों में नीलगिरी के वृक्षों को अधिक मात्रा में लगा कर पर्यावरण का बहुत ज्यादा नुकसान किया है।

शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है

 

मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।

पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।

अर्थात -जिस वृक्ष की जड़ में प्रजापति ब्रह्मा जी, तने पर श्री हरि विष्णु जी एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर जी का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर सभी देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा पीपल को हमारा सादर नमस्कार है।

आने वाले समय में प्रत्येक 500 मीटर के अंतर पर कार्बन डाइआक्साइड सोखने तुलसी, पीपल, , नीम, वट, जामुन, अशोक, आम, इमली, बिल्ब, कविट, आदि का वृक्षारोपण किया जाएगा, तभी अपना जगत गुरु भारत देश प्रदूषण मुक्त होगा।

घर घर वृक्ष लगायेंगे हम बदलेंगे जमाना।। 

धरती को स्वर्ग बनायेंगे हम बदलेंगे जमाना ।।

 

घर घर तुलसी। हर घर तुलसी।। 

पर्यावरण का श्री गणेश अपने घर में तुलसी रोपण से हो

तुलसी का पौधा 24 घंटे आक्सीजन छोड़कर हमें और हमारे परिवार को निरोगी बनाता है।

वायरल, बुखार, सर्दी जुकाम से लेकर कोरोना काल में अदरक, तुलसी गिलोय, दाल चीनी, काली मिर्च, लौंग, हल्दी आदि ने करोड़ों लोगों के प्राण बचाएं।

हम सब मिलकर अपने सयुंक्त प्रयासों से ही अपने “भारत” और विश्व मानवता को प्राकृतिक आपदा से बचा सकते है।

भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही संकल्प पूर्वक अभियान आरंभ करने की जरूरत है।

आइए हम सभी भारतीय व विश्व वासी मिलकर पीपल, बरगद, बेल, नीम, आंवला आम वृक्षों को लगाकर आने वाली पीढ़ी को आगामी मानसून पर वृक्षारोपण के लिए संकल्पित हों।

तभी हम विश्व मानवता को बचा सकेंगे…

ऊं ध्यौ शांतिरन्तरिक्षॅ शांति :, पृथ्वी शांति रापः शांति रोषधयः शांति ।वनस्प्तयः शांति र्विश्वे देवा :शांति ब्रम्ह शांतिः, 

सर्व शांतिः, शांति रेव शांतिः, 

सा मा शांति रेधि।। 

ऊं शांतिः शांतिः शांतिः।। 

 

हजारों वर्षों से हम भारतीय सभी किसी भी श्रेष्ठ अनुष्ठान यज्ञ साधना का समापन यजुर्वेद मंत्र शांतिपाठ से करते आ रहे हैं…..

” हे प्रकृति पुरुष पर ब्रम्ह परमेश्वर! हमारी त्रुटियों से कुपित पृथ्वी को शांत करें! सूर्य अग्नि कुपित न हो, शांत हो हमें तेजस्वी बनाएं! आकाश पर्यंत शांति स्थापित हो, सबमें उदारता विशालता का भाव जागृत हो!

प्रकुपित पृथ्वी एवं पर्यावरण शांत होकर सबको धैर्य स्थिरता प्रदान करें!

जल शांत हो, सबको शांति एवं शीतलता प्रदान करें!

वनस्पतियां औषधियाँ उद्विग्नता छोड़कर शांत हो सबको आरोग्य और पोषण प्रदान करें!

विश्व की समस्त दैवी शक्तियां हमें क्षमा करते हुए शांत हो, हमें दिव्य गुण प्रदान करें!

पर ब्रम्ह की अनुकम्पा से सर्वत्र शांति ही शांति बनी रहे कोई भी अनिष्ट न हो!!!!

 

लेखक:- देवेंद्र कुमार सक्सेना , संस्कृति पर्यावरण समाज सेवी 

 

देवेंद्र कुमार सक्सेना जी को उनके जन्मदिवस के अवसर पर नवल टाइम्स की ओर से बहुत बहुत शुभकामनायें एवं बधाई