होलाष्टक के आठ दिन के समय को अशुभ माना जाता है। इस बार 27 फरवरी 2023 सोमवार के दिन होलाष्टक की शुरुआत हो रही है। और यह 7 मार्च को होलिका दहन के बाद में ही समाप्त होगा। होलाष्टक में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण के लिए विशेष पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन इन दिनों में विवाह, और ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं होते है, जो भी लोग कोई भी शुभ काम करना चाहते है, वह होली के बाद ही कर सकेंगे।
होलाष्टक के आठ दिन के समय को अशुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी प्रकार का कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होलिका दहन के दिन होलाष्टक समाप्त होता है इसके बाद होली मनाई जाती है। होली मनाने का अर्थ है तब रंगोत्सव के साथ ही अच्छे अच्छे पकवान बनाकर खाए जाते हैं। आओ जानते हैं कि वर्ष 2023 में कब से प्रारंभ होगा होलाष्टक और इन 8 दिनों को क्यों माना जाता है अशुभ।
होलाष्टक से जुड़ी मान्यता
होली भक्त प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यपु से संबंधित पर्व है। असुर राज हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को शत्रु मानता था, लेकिन उसका बेटा प्रहलाद विष्णु जी का परम भक्त था। प्रहलाद की भक्ति से गुस्सा होकर हिरण्यकश्यपु ने अपने ही बेटे को मारने की कई बार कोशिश की। होलाष्टक के दिनों में प्रहलाद को हिरण्यकश्यपु ने तरह-तरह की यातनाएं दीं थीं।
होलिका को आग में न जलने का वरदान भी मिला हुआ था। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन असुराज की बहन होलिका ने प्रहलाद को मारने के लिए योजना बनाई कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाएगी तो वह जलकर मर जाएगा लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जल गयी। इसके बाद में भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यपु का वध किया था।
होलाष्टक में प्रहलाद को यातनाएं दी गई थीं, इस वजह से इन दिनों में शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं।वहीं ज्योतिष केमुताबिक होलाष्टक के समय में नौ ग्रहों में से अधिकतर ग्रहों की स्थिति अच्छी नहीं होती है। इस वजह से इन दिनों शुभ काम टालने की सलाह दी जाती है। कमजोर ग्रह स्थिति में किए गए शुभ काम भी असफल हो सकते हैं।
होलाष्टक के दिनों में ध्यान जरूर करें
इन दिनों ऋतु परिवर्तन का समय है। ठण्ड जा रही है गर्मी आ रही है, ऐसे समय में काफी लोगो का मन काम में नहीं लग पाता है। इसलिए इन दिनों मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए। मेडिटेशन करने से एकग्रता बढ़ती है और नकारात्मक विचार खत्म होते हैं। और काम में मन लगने लगता है।