- कोरोना काल ने बदल दी हमारी आदतें और दिनचर्या : जानिये क्या हुआ हमारी जीवनशैली में बदलाव
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Corona period changed our habits and routine: Know what happened in our lifestyle
एनटीन्यूज़: कोरोना वायरस के दौर में हमने कुछ अच्छी बातें सीखी हैं, कुछ ऐसे सबक हमने लिए हैं जिनको हम भुला बैठे थे। ये सबक बहुत ही पॉजिटिव (Positive) हैं जो हमारे और हमारे परिवार के लिए अहम स्थान रखते हैं। कोविड-19 की वजह से हुए लॉकडाउन और लॉकडाउन के बाद उसके असर से लाइफस्टाइल बदलने की प्रक्रिया को भविष्य में शायद ही कोई भुला पाएगा। इस महामारी ने हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के तमाम देशों के लोगों के जीवन को बदल कर रख दिया।
कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से ज्यादातर नकारात्मक परिणाम देखने-सुनने को मिले। सच्चाई भी यही है कि बहुत से लोग इसकी वजह से अपना रोजगार खो बैठे हैं तो कुछ लोग शारीरिक व मानसिक बीमारी का शिकार बन गए हैं।
कोरोना के दौरान पिछले कई महीनों में कुछ अच्छी बातें हमने सीखी हैं, कुछ ऐसे सबक हमने लिए हैं जिनको हम भुला बैठे थे। ये सबक बहुत ही पॉजिटिव (Positive) हैं जो हमारे और हमारे परिवार के लिए अहम स्थान रखते हैं। आओ जानें ऐसी बातें जो हमें कोरोना ने सिखाई व समझाई हैं।
सीमित संसाधनों में रहना
कोविड-19 में बिताए गए पिछले कुछ महीनों के दौरान हमने सीखा कि कम से कम साधनों का इस्तेमाल करके भी हम कैसे शांति से जीवन व्यतीत कर सकते हैं।इसके साथ ही हमें समझ आया कि ज्यादा से ज्यादा समय घर पर भी आराम से अपना काम करते हुए बिताया जा सकता है।
नमस्ते से शुरुआत
भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर ‘नमस्ते’ से अभिवादन करने की परंपरा रही है। कोरोना महामारी जब फैली तो स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हाथ मिलाने की आदत से परहेज करने की सलाह दी, क्योंकि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को होने वाली इस बीमारी में हाथों के जरिए संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। सोशल मीडिया में #DontShakeHands और #Namaste जैसे हैशटैग वायरल हुए और इसके साथ ही भारत में भी हैंडशेक करने वाले लोग अपनी पुरानी संस्कृति में लौटे, जबकि पूरी दुनिया ने हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने की भारतीय संस्कृति अपना ली है।
स्वास्थ्य का महत्व
दौड़-धूप और व्यस्तता के चलते हम लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति कुछ लापरवाह से हो चले थे। हाइजीन (Hygiene) पर लोग ध्यान तो देते थे लेकिन कोरोना के बाद से सभी सफाई पर विशेष ध्यान देने लगे हैं। लेकिन जैसे ही कोरोना बीमारी ने हमारे देश में प्रवेश किया, तब हमें समझ में आया कि हमारा स्वस्थ रहना कितना महत्वपूर्ण है।
बाहर से खरीदी हुई सब्जियों, फल आदि किसी भी चीज को अच्छे तरीके से साफ करके इस्तेमाल कर रहे हैं। खुद की सफाई के साथ-साथ अपने घर, कपड़ों आदि सभी की हाइजीन पर बहुत अच्छी तरीके से ध्यान दे रहे हैं। यकीनन कोरोना वायरस ने हमें यह सबक सिखाया है।
कोरोना वायरस से संबंधित रिसर्च में यह बात तो प्रमाणित हो चुकी है कि कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा है। धूम्रपान व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है और शोधकर्ताओं के मुताबिक, धूम्रपान करने वाले लोगों को भी कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है। ऐसे में बहुत सारे लोग अब धूम्रपान की आदत छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
एक-दूसरे की तकलीफ को महसूस करना
आधुनिक समय कुछ ऐसा आ गया है कि कोई एक-दूसरे की दुख-तकलीफ को समझने के लिए तैयार नहीं है। किसी के भी पास किसी की तकलीफ को समझने का समय ही नहीं है। लेकिन कोरोना काल के पिछले कुछ महीनों से लोग एक-दूसरे की तकलीफ को सुनने, समझने व महसूस करने के लिए समय निकालने लगे हैं। एक-दूसरे की तकलीफ को सुनकर उनकी मदद करने की कोशिश करने लगे हैं। बेरोजगारों और निर्धन वर्ग की मदद इस समय सरकार के अलावा व्यक्तिगत तौर पर भी काफी की गई। इससे पता चला कि आज भी इंसान में इंसानियत जिंदा है।
वर्क फ्रॉम होम के कल्चर को बढ़ावा
हमारे देश में अधिकतर यह माना जाता था कि वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) करना एक मुश्किल काम है। हालांकि जब से कोरोना बीमारी आई, तभी से लॉकडाउन चल रहा है। कोरोना संकट के दौरान एक बड़ा बदलाव ऑफिस कल्चर यानी कार्यालयी संस्कृति में भी हुआ। संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए आईटी से लेकर मार्केटिंग सेक्टर ने भी घर से काम करने की सुविधा दी है। लोग ऑफिस जाने की बजाय घर से काम कर रहे हैं। आर्किटेक्ट विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में हमारे कार्यस्थलों की संरचना भी बदल सकती है। सहकर्मियों के बीच शारीरिक दूरी बढ़ाई जा सकती है। फर्नीचर से लेकर आधारभूत संरचना में भी बदलाव देखा जा सकता है।
इसके बाद से अभी भी अधिकतर लोग घर से ही काम कर रहे हैं और अच्छी परफॉर्मेंस दे रहे हैं। इससे एंप्लॉई (Employee) और एंप्लॉयर (Employer), दोनों को ही फायदा हो रहा है। एंप्लॉई अपने घर के लिए भी पर्याप्त समय निकाल पा रहा है और एंप्लॉयर को अच्छा रिजल्ट भी मिल रहा है। इससे पता चलता है कि वर्क फ्रॉम होम का कल्चर भी सक्सेसफुल हो सकता है।
प्रदूषण में कमी
कोरोना के शुरुआती समय में हुए लॉकडाउन से प्रदूषण (pollution) में बहुत कमी आई थी। कई राज्यों के ध्वनि, वायु प्रदूषण में काफी कमी आई, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ा। इससे लोगों को समझ में आया कि ज्यादा से ज्यादा समय अपने घर पर बिताकर प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है, जो सभी के लिए अच्छा है। लॉकडाउन से देखा गया कि गंगा का पानी किस तरह कुदरती रूप से स्वच्छ और पारदर्शी सा दिख रहा था ऐसा स्वच्छ ,प्रदूषणरहित तो सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं को लागू करने पर भी नहीं हो पा रहा था ऐसा ही वातावरण में भी देखने को मिला जो पहाड़ हरिद्वार में दूर से स्पष्ट दिखाई नहीं देते थे वही पहाड़ दूरदराज के क्षेत्रों से भी स्पष्ट नजर आने लगे।
वर्चुअल क्लास का महत्व समझाया
आज-कल बच्चे ऑनलाइन क्लासेज (Online/Virtual Classes) के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं और टीचर और स्टूडेंट्स, दोनों ही अपने-अपने काम को ध्यान से कर रहे हैं। जिस तरह से बच्चा रेगुलर स्कूल जाकर पढ़ाई करता था, उसी तरीके से ऑनलाइन/ वर्चुअल क्लासेस में भी पढ़ाई के सभी नियम फॉलो किए जा रहे हैं। इसका यह रिजल्ट सामने आया कि ऑनलाइन पढ़ाई भी बच्चों के लिए अच्छी है। इससे भी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई जा सकती है।
सीखने की कला
इन दिनों लोगों में नई-नई चीजें सीखने की ललक बढ़ी है। इंटरनेट पर तो ऑनलाइन कोर्सों की भरमार है। लोग अपनी हॉबी यानी शौक को विस्तार देने लगे। गाना गाने से लेकर गिटार बजाने तक, चित्रकारी से लेकर अदाकारी तक, फोटोग्राफी से लेकर बागवानी तक लोग काफी कुछ सीख रहे हैं। इस लॉकडाउन पीरियड का उपयोग लोग अपनी कला और कौशल को निखारने में लगाने लगे। ये चीजें भविष्य में काम ही आएंगी, कम से कम नुकसान तो नहीं ही देंगी।
सड़कों पर गंदगी फैलाने पर रोक
हम लोग अपने घर और अपनी सफाई पर तो ध्यान देते थे लेकिन सड़कों पर गंदगी फैलाने, थूकने, कचरा इधर-उधर गिराने से नहीं चूकते थे। अब कोरोना के माध्यम से ही सही लेकिन हम यह बात अच्छी तरह से जान चुके हैं कि सड़क पर गंदगी फैलाना हमारे लिए जानलेवा हो सकता है। यह महत्वपूर्ण सीख देने के लिए भी कोरोना ही जिम्मेदार है।
पहनावे और रहन-सहन में बदलाव
कोरोना के कारण देश दुनिया में घोषित लॉकडाउन के दौरान हमारे पहनावे और रहन-सहन में बड़ा बदलाव हुआ है। ऑफिस, बैंक या अन्य कार्यस्थल जाना नहीं है, इसलिए शर्ट, पैंट, जींस, कोर्ट या अन्य किसी प्रोफेशनल आउटफिट की जगह लोग टीशर्ट, पायजामा जैसे कंफर्ट कपड़े पहन रहे हैं। कामकाजी महिलाएं भी घर में साड़ी, कुर्ती वगैरह या किसी अन्य प्रोफेशनल आउटफिट की जगह नाइटी या अन्य कंफर्टेबल यानी आरामदेह घरेलू कपड़े पहन रही हैं। वार्डरोब कलेक्शन से लेकर हमारे फैशन और स्टाइल में भी लोग प्रयोग करते नजर आ रहे हैं।
बढ़ा ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज
कोरोना की वजह से अधिक से अधिक समय घर पर रहने और बाहर जाकर दुकानों से खरीदारी न कर पाने के हालात ने ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) का क्रेज काफी बढ़वा दिया।
पौष्टिक खाने की ओर रुख
घर पर कुछ भी नया खाना ट्राई करने के बजाय लोग बाहर से ऑर्डर करना या बाहर जाकर खाना पसंद करते थे लेकिन कोरोना ने इस आदत को काफी हद तक बदल दिया। अब जबकि बाहर के खाने और बाहर जाकर खाने से बीमार होने का खतरा है तो लोगों ने घर पर ही स्वादिष्ट व पौष्टिक खाना बनाने और खाने की ओर रुख किया है। ज्यादातर लोग कोशिश कर रहे हैं कि बाहर का खाना न खाया जाए।
परिवार के साथ समय व्यतीत करना
जो माता-पिता बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते थे, अपने ऑफिस और घर के कामों में बिजी रहते थे, उनको भी बच्चों के साथ समय व्यतीत करने का मौका मिला। इस दौरान माता-पिता ने भी सीखा कि बच्चों के साथ अच्छा समय बिताना कितना जरूरी और कितना खुशी देने वाला है। इससे पारिवारिक रिश्तों पर काफी पॉजिटिव असर पड़ा। परिवार के सदस्यों ने इस दौरान एक-दूसरे को समझना सीखा।
सीखा रिश्तों को सहेजना
कोरोना की शुरुआत होने के समय से ही हम अपने रिश्तेदारों-दोस्तों से मिल नहीं पा रहे हैं लेकिन हम फोन आदि तकनीक के जरिए उनसे लगातार उनके हालचाल पूछना सीख गए हैं। रिश्तों को कैसे प्यार से समझा जाता है, यह भी हम काफी हद तक सीख चुके हैं। साथ ही लगातार अपनों के संपर्क में रहना एक सुखद एहसास होता है, यह सबक हमें कोरोना ने फिर से याद दिलाया है।