संजीव शर्मा,एनटीन्यूज़,हरिद्वारः मैती आंदोलन के प्रणेता एवं पर्यावरणविद् श्री कल्याण सिंह रावत जी को इस वर्ष पद्मश्री के लिए चुना गया है। श्री रावत जी का जन्म 19 अक्टूबर 1953 को उत्तराखंड के चमोली जिले के अन्तर्गत नोटी से 2 किमी दूर बैनोली गांव में हुआ था। जीवविज्ञान के अध्यापक के रूप में उन्होंने कार्य किया तथा स्थानीय लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया।

उनके द्वारा 1995 में शुरू किया गया मैती आंदोलन प्रकृति एवं पेड़ों से भावनात्मक लगाव पर आधारित है तथा पेड़ों को रोपने के साथ उनके संरक्षण पर जोर देता है। उनके द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन आज भारत के 18 राज्यों समेत विश्व के अनेक देशों में अपनी जड़ें जमा चुका है।

मैती शब्द उत्तराखंड की लोकभाषा से लिया गया है। मैत शब्द का अर्थ हिंदी में मायका होता है और मैती का अर्थ होता है मायके वाले। मैती परंपरा में विवाह के समय वर-वधू के द्वारा मंत्रोच्चार के बीच एक पौधा लगाया जाता है। इस तरह वधू इस पौधे को अपना मैती यानि परिवार का सदस्य बना लेती है और देखभाल का जिम्मा परिवार की महिलाओं को सौंपती है। प्रथा के परिणाम स्वरूप रोपे गए पौधों से लोगों का भावनात्मक सम्बन्ध जुड़ता है और पौधों की देखभाल परिवार के सदस्य की तरह जाती है।

इस परंपरा को शुरू कर वृक्ष संरक्षण की मुहिम को नया जीवन प्रदान किया। मैती प्रथा के अंतर्गत कई छोटे-बड़े मैती वनों का निर्माण हुआ है, जिनमें केवल उत्तराखंड में ही करीब 5 लाख पेड़ों का रोपण और संरक्षण किया गया है। इसके अतिरिक्त बूंखाल में पशु बलि प्रथा समाप्त करवाने में भी श्री रावत जी का महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा।

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा प्रदेश के प्रमुख पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी को पद्मभूषण, पर्यावरणविद् तथा मैती आंदोलन के प्रणेता कल्याण सिंह रावत तथा डॉ. योगी एरन को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किये जाने पर सभी को बधाई एवं शुभकामना दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनिल प्रकाश जोशी को पद्म भूषण तथा कल्याण सिंह रावत तथा डॉ. योगी एरन को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किये जाने से राज्य को भी सम्मान मिला है। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण एवं समाज सेवा के क्षेत्र में इन लोगों के द्वारा किये गये प्रयासों को तो सराहना मिली ही है, राज्य की पहल को भी बल मिला है।