• भारत स्काउट्स एवं गाइड्स उत्तराखंड रोवर लीडर व रेंजर लीडर के बेसिक व एडवांस कोर्स प्रशिक्षण की अंतिम कड़ी day हाइक यात्रा से हुई। 
  • डे हाइक के लिए पैदल पैदल पहुंचे सभी डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर कालू सिद्ध बाबा मंदिर।

आज कैंप के अंतिम दिन से एक दिन पूर्व सभी रोवर रेंजर लीडर्स अंतिम कड़ी में हाइक के लिए पैदल मार्च करते हुए कैंपसाइट भोपाल पानी से कालू सिद्ध बाबा मंदिर की ओर 12 किलोमीटर का क्षेत्र पैदल मार्च सांकेतिक चिन्ह को ढूंढते हुए, जैसा कि आदेश मिला उसी प्रकार से एक्टिविटी करते हुए, नक्शा बनाते हुए वुडक्राफ्ट के संकेत को बनाते हुए सभी ट्रेनीज मंदिर पहुंचे, वहां पहुंचकर कि उन्होंने चाय नाश्ता भोजन किया और संध्या बेला में वापस कैंपिंग सेंटर भोपाल पानी आए।

कैंपिंग सेंटर पहुंचकर के सभी थके हारे ट्रेनिंज ने ग्रांड कैंफायर किया, संगीत पर सब थिरके और सोलो सोंग, डांस, ग्रुप सोंग, ग्रुप डांस के द्वारा साप्ताहिक कैंप की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम का लुफ्त लिया।

ट्रेनीज के अंदर आत्मनिर्भरता, सहनशीलता, धैर्य तथा प्रकृति के साथ सहनशीलता, लीडरशिप जैसे गुणों का सहज विकास करना होता है और इन गुणों को ग्रहण करके फिर यह कॉलेज में जाकर के छात्रों को सिखाएंगे, देश के भविष्य का निर्माण करेंगे।

आज के प्रोग्राम में एलओसी रोवर प्रोफेसर सत्येंद्र तथा रेंजर एलओसी विमला पंत ने दोनों टीमों को दीक्षा की शिक्षा दी।

दीक्षा संस्कार एक महत्वपूर्ण संस्कार है जिसके द्वारा बालक बालिकाओं के अंदर यह इस ज्ञान को दिया जाता है कि जैसे हमारे 16 संस्कार होते हैं ठीक इसी प्रकार से रोवर रेंजर का दीक्षा संस्कार होता है और दीक्षा संस्कार के साथ ही उसका रोवर रेंजर में प्रवेश की तिथि निश्चित जाती है उसके 6 महीने बाद में निपुण के पुरस्कार के लिए कार्य करता है और फिर उसके 9 महीने के बाद वह राज्य पुरस्कार के लिए एलिजिबल हो जाता है और फिर उसके 12 माह के बाद वह राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए एलिजिबल हो जाता है इसी बीच में उसे कुछ दक्षता badge में भी पारंगत हासिल करनी होती है तथा CD प्रोजेक्ट परियोजना में भी उसे कार्य का हिस्सा बनना पड़ता है और लोग बुक जमा करके फिर वह इस सम्मान को प्राप्त करने की टीम में शामिल हो सकता है।

तत्पश्चात लोग जमा करने के बाद उसको टेस्टिंग के लिए नेशनल के द्वारा बुलाया जाता है वहां की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के पश्चात वह रोवर रेंजर राष्ट्रपति पुरस्कार को प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है

 

इस अवसर पर सभी 51 कॉलेजों से प्रोफ़ेसर प्रमोद कुकरेती, डॉक्टर अंजू भट्ट, डॉ राघव झा, डॉक्टर खेम करण, डॉ जगत सिंह, डॉक्टर दर्शन सिंह मेहता, डॉक्टर रंजीत सिंह, डॉ हरीश राम , डॉ महेंद्र प्रताप सिंह राणा, डॉक्टर श्रवण कुमार, जगजीत सिंह , डॉ मनोज किशोर नौटियाल, डॉक्टर अनुरोध प्रभाकर, अतुल कुमार मिश्र, डॉक्टर हेमा मेहरा, डॉक्टर कमला उपाध्याय, डॉ शालिनी उनियाल, डॉक्टर LVदास, डॉक्टर पूनम, नीतिज्ञ वर्मा , चंद्रानवी पाल, डॉ विनीता, रेखा चमोली, रेनू संवाल, सुनीता चौहान, अनीता टम्टा, डॉक्टर दिनेश, डॉक्टर सुबोध कुमार कंडारी, डॉ अखिलेश्वर कुमार द्विवेदी, डॉक्टर विनोद रावत, डॉ माधुरी, डॉ पुष्पा रानी, डॉ सुनील कुमार, डॉ रेनू देवी, लक्ष्मी जोशी, डॉक्टर गोपाल राम, चंद्रकला नेगी, डॉक्टर खुशपाल, डॉ अभिषेक कुकरेती, डॉक्टर अखिलेश्वर द्विवेदी, डॉक्टर सुमन प्रकाश, डॉ भावना आदि उपस्थित थे।