सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत ही महत्व है। इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में कार्तिक माह को बेहद पवित्र माना गया है। इस माह में विधिपूर्वक धन की देवी मां लक्ष्मी और श्रीहरि नारायण का पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। विष्णु-लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का यह माह हर तरह से जीवन में खुशियां लाने वाला और सभी संकटों, कष्‍टों को हरने वाला महीना है, क्योंकि इस माह कई बड़े त्योहार आते हैं, जहां इन्हें प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त पूजन, मंत्र जाप, हवन आदि भी करते हैं।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन गंगा स्नान, दीपदान, यज्ञ और ईश्वर की उपासना का वशेष महत्व माना जाता है। इस दिन किए जाने वाले दान-पुण्य समेत कई धार्मिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करके विष्णु भगवान का 16 उपचार से पूजन करने का विशेष महत्व है। स्नान के बाद ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय, ओम नमो नारायणाय’ मंत्रों का जाप करना चाहिए।

इस वर्ष कार्तिक मास 21 अक्टूबर से आरंभ हुआ था, जोकि कार्तिक पूर्णिमा kartik purnima, 19 नवंबर 2021 के दिन समाप्त हो जाएगा। धार्मिक दृष्टि से भी यह सबसे शुभ माना गया है। यह चातुर्मास का आखिरी माह भी होने के कारण तुलसी रोपण करना अतिशुभ माना जाता है। वर्ष 2021 में कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में कार्तिक पूनम को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इसलिए इस दिन कई धार्मिक समारोह, अनुष्ठानों आदि किए जाते हैं। मान्यतानुसार इस दिन हाथी, गाय, घोड़ा और घी, रुपया-पैसा, खाद्य सामग्री आदि का दान करने से धन-संपत्ति बढ़ती है। इस दिन जहां भेड़ का दान करने से ग्रह योग कष्ट दूर होते हैं, वहीं व्रतधारी अगर बैल का दान करते हैं तो उन्हें शिव के समान पद प्राप्त होने की भी मान्यता है।
कार्तिक पूर्णिमा की मान्यता Importance of Kartik Purnima पौराणिक मान्यता के अनुसार देवता अपनी दिवाली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं। इसलिए यह सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना गया है। इस दिन नदी, घाट तथा तीर्थक्षेत्रों में स्नान का और अपनी क्षमतानुसार दान करने भी अधिक महत्व माना गया है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन किसी भी मंदिर, शिवालयों या नदी तट पर दीप दान करना भी विशेष महत्व का माना गया है। मान्यतानुसार इस दिन दीपदान करने से समस्त देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
पुराणों में वर्णित हैं कि भगवान शिव ने त्रिपुरारी का अवतार लेकर त्रिपुरासुर और उसके असुर भाइयों को मार दिया था। इसी वजह से इस पूर्णिमा का अन्य नाम त्रिपुरी पूर्णिमा भी है। इसलिए, देवताओं ने राक्षसों पर भगवान शिव की विजय के लिए इस दिन दीपावली मनाई थी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में, उनके भक्त गंगा घाटों पर तेल के दीपक जलाकर देव दीपावली मनाते हैं और लोग अपने घरों को सजाकर श्री विष्णु-मां लक्ष्मी का पूजन करने उनकी विशेष कृपा प्राप्त करते हैं।